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प्रेग्नेंसी: समझ, देखभाल, और सुरक्षा

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Hakim7
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प्रेग्नेंसी: समझ, देखभाल, और सुरक्षा

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Presentation Transcript


  1. प्रेग्नेंसी: समझ, देखभाल, और सुरक्षा

  2.  गर्भधारण के नुस्खे • 10 ग्राम पीपल की ताजी कोमल जटा जौकूट करके 700 मि.ली. दूध में पकाएं। 200 मि.ली. शेष रहने पर उसे उतारकर छान लें। उसमें शक्कर और शहद मिलाकर पीरियड होने के 5वें या 6वें दिन से खाना शुरू करें। 10 दिन तक इस रामबाण औषधि का सेवन करें। • 3 ग्राम गोरोचन 10 ग्राम गजपीपरि और 10 ग्राम असगंध-तीनों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। पीरियड के चौथे दिन से निरंतर पांच दिनों तक इसे दूध के साथ फांके। • महिलाओं को शतावरी चूर्ण घी और दूध में मिलाकर खिलाने से गर्भाशय की सारी विकृतियां दूर हो जाती हैं और वेगर्भधारण योग्यहो जाती हैं। • माहवारी खत्म होने के बाद तुलसी के पत्तों का काढ़ा तीन-चार दिन तक लगातार पियें। इससे गर्भ नहीं ठहरेगा। • सुबह उठने के बाद बासी मुंह बिना कुल्ला किए एक-दो लौंग चबाने से भी गर्भ नहीं ठहरेगा।

  3. नीम के तेल का सेवन करने से गर्भ नहीं ठहरता। यह गर्भ निरोधक उपायों में सबसे लाभदायक उपाय है। • सेक्स से पहले योनि में नीम का तेल लगाने से भी गर्भ नहीं ठहरता। • संभोग करने से पहले योनि में शहद लगाने से गर्भधारण नहीं होता। • पपीता भी एक कारगर गर्भनिरोधक है। • मासिक धर्म के समय चंपा के फूलों को पीसकर पीने से गर्भधारण की संभावना नहीं रहती। जब तक बच्चा न चाहें, तब तक यह प्रयोग हर महीने मासिक धर्म के समय करें। • केले का पेड़ जिस पर फल न लगा हो या फलहीन पेड़ हो उसकी जड़ उखाड़कर सुखा लें। मासिक धर्म के समय 4-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से गर्भ नहीं ठहरता।

  4. गर्भपात रोकने के नुस्खे • हरी दूब के पंचाग (जड़, तना, पत्ती, फूल, फल) को पीसकर, उसमें मिश्री व दूध मिलाकर 150-200 ग्राम शरबत के रूप में सुबह – शाम पियें। • गाय का ठंडा किया हुआ दूध व जेठीमधु का काढ़ा बनाकर पिये। और साथ-साथ इसी काढ़े को नाभि (टुंडी ) के नीचे के भाग पर लगाएं। इससे गर्भ न रुकने की संभावना कम हो जाती है। • अशोक की छाल का क्वाथ बनाकर कुछ दिनों तक सुबह-शाम पिलाने से गर्भवती स्त्री के गर्भसाव की संभावना नहीं रहती। • एक पक्के केले को मथकर, उसमें शहद मिलाकर गर्भवती को खिलाएं। • वंशलोचन, मिश्री और नागकेशर को लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इसे 2 – 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गाय के दूध के साथ खाने से फायदा होता है। • मूली के बीजों का कपड़छान बारीक चूर्ण और भीमसेनी कपूर को गुलाब के अर्क में मिलाकर गर्भ ठहरने के बाद योनि में कुछ दिनों तक मलने से बहुत लाभ होता है। अगर किसी स्त्री को बार-बार रक्तस्राव होता है तो उसके लिए यह प्रयोग बहुत ही फायदेमंद है।

  5. पीपल और बड़ी कंटकारी की जड़ पीसकर भेस के दूध के साथ कुछ दिनों तक लें। प्रेग्नेंसी के दौरान उल्टी • सुबह उठकर मुंह धोकर हल्के गुनगुने पानी में एक नींबू का रस निचोड़कर खाली पेट कुछ दिनों तक पियें। इससे उल्टी बंद हो जाएगी। • गर्मी का मौसम हो तो बर्फ का पानी पिने से लाभ होता है। • संतरे, मौसबी व पके आम का रस व नारियल पानी भी बहुत फायदेमंद होता है। • प्रेग्नेंसी स्त्री के पेट पर पानी की पट्टी रखने से उल्टी में आराम मिलता है। • गुलकंद और शक्कर दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में तीन से चार बार सेवन करने से भी लाभ होता है। • एक कागजी नींबू को काटकर दो टुकडे कर लें। दोनों भागों पर काली मिर्च का चूर्ण व नमक बुरककर आग पर गर्म करके चूसें। • अनार के दानों का रस थोड़ा-थोड़ा पिने से भी उल्टी में लाभ होता है।

  6. बार-बार पेशाब आने पर • एक केले के साथ विदारीकंद और शतावरी को 1-1 ग्राम चूर्ण मिलाकर दूध के साथ पीने से बार-बार पेशाब जाने की परेशानी कम होती है। • तीन – चार आंवलों का रस निकालकर उसमें पानी मिलाकर सुबह-शाम पीने से आराम होता है। • बार-बार पेशाब आने की शिकायत होने पर 50 ग्राम भुने हुए चने खाकर ऊपर से थोड़ा सा गुड़ खाएं। ऐसा 10 दिन तक नियमित करें। • दिन में दो बार छुहारा खाएं और रात को छुहारा खाकर दूध पियें। • अनार के छिलकों को सुखाकर उसका चूर्ण बना लें। 5 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को सुबह पानी के साथ लेने से लाभ होता है।

  7. खाने के प्रति अरूचि • सभी प्रकार के खट्टे फलों या उनके रस को पानी में मिलाकर पीने से शरीर में दूषित पदार्थों की कमी होती है और रक्त क्षारीय होकर खाने के प्रति रूचि पैदा कर देता है। • रोज नाश्ते में पपीते का सेवन करें। • तरबूज के 10 ग्राम बीजों को पीसकर आधे कप पानी में घोलकर, उसमें 5 ग्राम मिश्री और आधा नींबू का रस मिलाकर भोजन से 15-20 मिनट पहले लेने से खाने के प्रति अरूचि मिट जाती है। • धनिया, काला जीरा, सोंठ और सेधा नमक- प्रत्येक बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें। 2-2 ग्राम चूर्ण दिन में 3-4 बार लेने से भूख लगती है और भोजन में रूचि पैदा होती है। • जामुन का सिरका पियें। सिरके के नियमित प्रयोग से भूख बढ़ती है। • हरा धनिया, टमाटर, कागजी नींबू, हरी मिर्च, काला नमक, अदरक का सलाद या चटनी बनाकर खाएं। इससे भोजन में रूचि उत्पन्न होगी। • अगर भूख न लगती हो तो लवण भास्कर चूर्ण 1-1 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार लेने से लाभ होता है।

  8. खून की कमी

  9. सुबह-शाम दूध के साथ 1-1 नग आंवले का मुरब्बा खाने से खून की कमी दूर होती है। • रोजाना पपीते का सेवन करने से भी खून की कमी नहीं होती। इसमें लौह तत्व की अधिकता होती है। जो रक्त बनाने में सहायक होता है। • गन्ने के रस में आवले का रस और शहद मिलाकर पीने से खून बढ़ता है। • अंजीर को दूध में उबालें। फिर उसे खाकर दूध पियें। इससे खून की कमी दूर होती है और शक्ति में वृद्धि होती है। • प्रतिदिन 5-10 खजूर खाकर ऊपर से एक कप गर्म दूध पीने से थोड़े ही दिनों में शरीर में स्फूर्ति और बल बढ़ता है। • गाजर का रस और चुकंदर का रस मिलाकर पीना भी फायदेमंद होता है। • रोजाना एक गिलास टमाटर का रस पीने से खून की कमी दूर होती है। • ठंडे पानी में साफ किये गये चोकर को उसके वजन के छह गुना पानी में किसी बर्तन में ढ़क कर आधे घंटे तक उबालें। स्वाद के लिए इसमें शहद व नींबू का रस मिला सकते हैं। एक-एक कप सुबह-शाम पीने से खून की कमी दूर होती है। • बथुए के साग का सेवन भी बहुत उपयोगी है। इससे खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढती है।

  10. गाजर का सलाद या फिर गाजर का मुरब्बा भी लाभकारी है। गाजर के मुरब्बे के लिए अच्छी मोटी गाजर को छीलकर बीच का कड़ा भाग निकाल दें। गूदे को काटें से गोद दें। पानी में हल्का सा उबाल कर कपड़े पर फैला दें। इसके बाद एक किलो एकतारी चाशनी बनाकर गाजर पकाएं। पकाते समय नींबू का रस भी डाल दें। ठंडा होने पर कांच के बर्तन में भरकर रख लें और खाने में प्रयोग करें।  गर्भावस्था में गैस • 1-1 नग आंवले का मुरब्बा सुबह-शाम खाकर दूध पियें। इससे गैस और अम्ल पित्त की शिकायत दूर हो जाती • भोजन करने से 15 – 20 मिनट पहले अजवायन का आधा चम्मच चूर्ण और थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर सेवन करें और भोजन के 15 – 20 मिनट बाद भी यही नुस्खा प्रयोग करें। • गैस की शिकायत होने पर एक प्याले पानी में आधे नींबू को निचोड़ ले और थोड़ी-सी सौंफ का चूर्ण व काला नमक मिलाकर कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करें।

  11. ककड़ी, मूली, गाजर, टमाटर, खीरा, पालक के सलाद में अदरक के छोटे – छोटे टुकड़े काटकर उस पर नींबू निचोड़ ले | और रोजाना सेवन करने से गर्भवती को गैस की शिकायत नहीं होगी और न ही कब्ज होगी । • 20 ग्राम सेंधा नमक और 50 ग्राम चीनी को एक साथ पीसकर रख लें। खाना खाने के बाद रोजाना आधा चम्मच इसे खाने से गैस की शिकायत नहीं होती। • 200 ग्राम फालसे के रस में थोड़ी मिश्री, काला नमक और नींबू मिलाकर लें। इससे गैस की शिकायत नहीं होती है |  पैरों में सूजन • अनन्नास को छीलकर गोल-गोल टुकड़ों में काट लें। उस पर काली मिर्च का चूर्ण और काला नमक बुरककर खाने से लाभ होता है। इससे मूत्र में वृद्धि होती है, जिससे सूजन कम हो जाती है। • बरगद के पत्तों को घी में चुपड़कर उनको गरम करके पैरों पर बांधने से गर्भवती महिलाओं की पैरों की सूजन दूर हो जाती है।

  12. गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) के दौरान पैरों की सूजन में काले जीरे के काढ़े से पैरों को धोना चाहिए। इससे सूजन में लाभ होता है | • अजवायन को पीसकर बारीक चूर्ण बना ले और फिर पैरों में धीरे-धीरे मलें।  सहज डिलीवरी के लिए • नीम की जड़ को कमर में बांधने से प्रसव तुरंत हो जाता है। • 200 मि.ली. पानी में 50 ग्राम हरे या सूखे आंवलों को उबालें। जब 80 मि.ली. पानी शेष रह जाए, तो इसे आंच पर से उतार लें। ठंडा होने पर इस पानी में शहद मिलाकर समय-समय पर गर्भवती महिला को पिलाते रहे। इससे डिलीवरी बिना कष्ट के होती है। • अमलतास के छिलकों के 5 ग्राम चूर्ण को 200 ग्राम पानी में औटाकर छान लें और शक्कर मिलाकर गर्भवती स्त्री को पिला दें। प्रसव पीड़ा से आराम मिलता है। • बथुए के 10 ग्राम बीज को 500 ग्राम पानी में औटाएं, जब आधा रह जाए तो उतारकर छान लें और प्रसूता को पिलाएं। प्रसव पीड़ा से आराम मिलकर बच्चा आसानी से हो जाता है।

  13.  प्रसूता का बढ़ा हुआ पेट • आंवला और हल्दी समान मात्रा में लेकर पहले हल्दी को भून लें। फिर दोनों का चूर्ण बनाकर मिलाकर रख लें। 5-5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे पेट सिकुड़ कर सामान्य अवस्था में आ जाएगा। • त्रिफला और सेंधा नमक समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख लें। इसे 5 ग्राम मात्रा में छह महीने तक नियमित रूप से लेने से पेट की चर्बी दूर होती है। • पीपरि का चूर्ण बनाकर रखे लें। 4-5 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण का नियमित सेवन करने से भी प्रसूता का बढ़ा हुआ पेट संकुचित हो जाता है।

  14. प्रसव के बाद का मोटापा • प्रसव के 25 दिन बाद रोज सुबह पीपलामूल का चूर्ण 2 ग्राम मट्ठा में घोलकर पियें। • एक चम्मच शहद एक गिलास पानी में मिलाकर रोज सुबह पीने से भी मोटापा कम होता है। • जीरा, हींग, सेंधा नमक, त्रिकटु, चित्रक और चव्य इन्हें समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसे 5 ग्राम की मात्रा में सत्तू के साथ मिलाकर पीने से डिलीवरी के बाद का मोटापा कम होता है। • पारिजात के पत्तों व चित्रकमूल का क्वाथ बनाकर सौंफचूर्ण और हींग मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है। इसके अलावा खाने में जौ, पुराना चावल, मूंग, कुलथी, अरहर, परवल, आंवला, छाछ, शहद आदि का उपयोग करें।

  15. मेनोपॉज • मेनोपॉज के दौरान फाइटो एस्ट्रोजन लेना शुरू कर दें। फाइटो एस्ट्रोजन के मुख्य स्रोत हैं – सोया, सोयाबीन का पनीर, सोया मिल्क, सोया आटा व सोयाबीन की बड़ियां । • खाने में बंदगोभी, फलीदार सब्जियां व दालों का प्रयोग करें। • गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) का समर्थन करने के लिए सूचना, स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षा के सरल तरीके। मातृत्व के इस सफल सफर में हमारे साथ साझा करें। Read more…

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