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हिंदी में होने वाली सामान्य गलतियाँ

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Rashmi16
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हिंदी में होने वाली सामान्य गलतियाँ

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Presentation Transcript


  1. डॉ ॰ रश्मि मस्तागर

  2. हिंदी में होने वाली सामान्य गलतियाँ 01

  3. सामान्य अशुद्धियाँ फुलस्टॉप तथा पूर्णविराम की गलती - कम्प्यूटर पर टाइपिंग के समय अधिकतर लोग आलस्यवश या वर्ण को टाइप करने का तरीका न जानने/सुलभ न होने के कारण पूर्णविराम (।) के स्थान पर फुलस्टॉप (.) का प्रयोग करते हैं।  लाघव चिह्न की गलती उदाहरण: सही - डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद गलत - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सही - एम॰ ए॰ गलत - एम. ए. इसके यूनिकोड कूट 0970 को टाइप करें तथा उसे सलैक्ट करके Alt-X दबा दें, वह लाघव चिह्न में बदल जायेगा। सामान्य जीवन में, कम्प्यूटर और इण्टरनेट पर हिन्दी में वर्तनी सम्बंधी अनेक गलतियाँ देखी जाती हैं। ऐसा किसी चिह्न को टाइप करने का सही तरीका न जानने के कारण अथवा चिह्न विशेष को टाइप करने की सुलभता उपलब्ध न होने के कारण होता है। अनुस्वार तथा अनुनासिक की गलतियाँ- हँसना के स्थान पर हंसना पंख के स्थान पँख पर आदि।

  4. बिंदियों की अशुद्धियाँ

  5. पञ्चमाक्षर की गलतियाँ जैसे 'पण्डित' के स्थान पर 'पन्डित', 'विण्डोज़' के स्थान पर 'विन्डोज़', 'चञ्चल' के स्थान पर 'चन्चल' आदि। ये अधिकतर अशुद्धियाँ 'ञ्' तथा 'ण्' के स्थान पर 'न्' के प्रयोग की होती हैं।

  6. पङ्कज, गङ्गा कवर्ग – क, ख, ग, घ, ङ चवर्ग – च, छ, ज, झ, ञ टवर्ग – ट, ठ, ड, ढ, ण तवर्ग – त, थ, द, ध, न पवर्ग – प, फ, ब, भ, म कुञ्जी, चञ्चल विण्डोज़, प्रिण्टर कुन्ती, शान्ति परम्परा, सम्भव

  7. ई मात्रा की अशुद्धियाँ ई परिक्षा परीक्षा बिमार बीमार दिवार दीवार

  8. की या कि - अशुद्धियाँ पिता जी ने कहा कि राधा बहुत अच्छी लड़की है | राम की बहन गीता सामने रो रही है | नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कहा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा|”

  9. विराम-चिह्नों के बदलने से वाक्य का अर्थ भी बदल जाता है| उसे रोको मत, जाने दो। उसे रोको, मत जाने दो।

  10. उद्धरण चिह्न इकहरा उद्धरण चिह्न इस चिह्न का प्रयोग किसी पुस्तक ,शीर्षक और व्यक्ति के उपनाम आदि को दर्शाने के लिए किया जाता है | * रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हिंदी के एक महान कवि हैं | दोहरा उद्धरण चिह्न किसी संवाद या कहावत को ज्यों-का-त्यों दर्शाने के लिए होता है | * गाँधी जी ने कहा था, “करो या मरो |”

  11. बहुवचन बनाते समय की गलतियाँ

  12. लिंग परिवर्तन करते समय की गलतियाँ Elaborate on what you want to discuss.

  13. Write Your Topic or Idea Add a main pointElaborate on what you want to discuss. Add a main pointElaborate on what you want to discuss. 1 2

  14. पत्र-व्यवहार ऐसा साधन है जो दूरस्थ व्यक्तियों की भावना को एक संगम भूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है। पत्र मनुष्य के विचारों का आदान-प्रदान सरल, सहज, लोकप्रिय तथा सशक्त माध्यम से करता है।

  15. पत्र के प्रकार औपचारिक पत्र अनौपचारिक पत्र

  16. औपचारिक पत्र किसे कहते हैं ? औपचारिक पत्र उन्हें लिखा जाता है जिनसे हमारा कोई निजी संबंध ना हो। व्यवसाय से संबंधी, प्राचार्य को लिखे प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि औपचारिक-पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्रों की भाषा सहज और शिष्टापूर्ण होती है। इन पत्रों में केवल काम या अपनी समस्या के बारे में ही बात कही जाती है।

  17. पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें (i) औपचारिक-पत्र नियमों में बंधे हुए होते हैं।(ii) इस प्रकार के पत्रों में भाषा का प्रयोग ध्यानपूर्वक किया जाता है। इसमें अनावश्यक बातों (कुशल-मंगल समाचार आदि) का उल्लेख नहीं किया जाता।(iii) पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।(iv) पत्र की भाषा सरल, लेख स्पष्ट व सुंदर होना चाहिए।(v) यदि आप कक्षा अथवा परीक्षा भवन से पत्र लिख रहे हैं, तो कक्षा अथवा परीक्षा भवन (अपने पते के स्थान पर) तथा (अपने नाम के स्थान पर) क० ख० ग० लिखना चाहिए।(vi) पत्र पृष्ठ के बाई ओर के हाशिए (Margin Line) के साथ मिलाकर लिखें।(vii) पत्र को एक पृष्ठ में ही लिखने का प्रयास करना चाहिए ताकि तारतम्यता/लयबद्धता बनी रहे।(viii) प्राचार्य को पत्र लिखते समय प्रेषक के स्थान पर अपना नाम, कक्षा व दिनांक लिखना चाहिए।

  18. प्रधानाचार्य को लिखे गए प्रार्थना-पत्र का प्रारूप-सेवा में,प्रधानाचार्य,विद्यालय का नाम व पता…………. दिनांक …………………. विषय- (पत्र लिखने के कारण)। महोदय जी,पहला अनुच्छेद ………………….दूसरा अनुच्छेद …………………. आपका आज्ञाकारी/आज्ञाकारिणी शिष्य/शिष्या,क० ख० ग०कक्षा………………….

  19. उदाहरण:दीदी या बहन की शादी पर अवकाश के लिए आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र। सेवा में, प्रधानाचार्य महोदय,डी.ए.वी. स्कूल,रामनगर (दिल्ली) दिनांक – 15/12/2021 विषय – बहन की शादी के लिए अवकाश प्रदान हेतु प्रार्थना पत्र। महोदय, सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा 10वीं का विद्यार्थी हूँ। मेरे घर में मेरी बहन की शादी है। जो दिनांक 20/12/2021 को निश्चित हुई है। मैं अपने पिता का इकलौता पुत्र हूँ, अतः शादी में बहुत से कार्यों में मेरा होना अति आवश्यक है। इसी कारण मुझे 16/12/2021 से 22/12/2021 तक का अवकाश चाहिए।अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप मुझे अवकाश प्रदान करने की कृपा करें, इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूँगा। धन्यवाद। आपका आज्ञाकारी शिष्यनाम – स्वाधीन शर्माकक्षा – 10वींरोल नंबर – 34

  20.  उदाहरण:बस में यात्रा करते हुए आपका एक बैग छूट गया था जिसमें जरूरी कागज और रुपये थे। उसे बस कंडक्टर ने आपके घर आकर लौटा दिया। उसकी प्रशंसा करते हुए परिवहन निगम के अध्यक्ष को पत्र लिखिए। सेवा में,अध्यक्ष,हिमाचल राज्य परिवहन निगम,शिमला। दिनांक- 25 अप्रैल, 2019 विषय – बस में छूटे बैग का वापस मिलना। महोदय, कल दिनांक 24 अप्रैल, 2019 को मैंने चण्डीगढ़ में कार्य समाप्ति पर शिमला के लिए चण्डीगढ़ बस स्टैण्ड से वातानुकूलित (एयर कंडीशनिंग) बस पकड़ी थी। सफर पूर्ण हो जाने के बाद मैं बस से उतर कर शिमला चला गया।

  21. मेरी ख़ुशी की उस समय कोई सीमा ना रही जब तीन घंटे के बाद बस के कंडक्टर श्री रामकृष्ण शर्मा मेरे घर का पता पूछते हुए मेरे बैग के साथ मेरे घर पहुँच गये। तब तक मुझे यह ज्ञात ही नहीं था कि मैं अपना जरुरी बैग बस में ही भूल आया था। इस बैग में मेरे बहुत जरूरी कागज, कुछ रुपये और भारत सरकार द्वारा ज़ारी आधार कार्ड था। उसी पर लिखे पते के कारण कंडक्टर श्री रामकृष्ण शर्मा मेरे घर का पता ढूँढ़ने में सफल हुए थे। मुझे कंडक्टर का यह व्यवहार बहुत ही सराहनीय और प्रशंसनीय लगा। उनकी ईमानदारी से प्रभावित हो कर मैं उन्हें कुछ ईनाम देना चाहता था परन्तु उन्होंने यह कह कर ताल दिया कि यह तो उनका कर्तव्य था।मैं चाहता हूँ कि इस तरह के ईमानदार कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए जिससे दूसरे कर्मचारी भी ईमानदारी का पाठ सीख सकें। मैं कंडक्टर श्री रामकृष्ण शर्मा का फिर से आभार व्यक्त करता हूँ।धन्यवाद।भवदीयरमेश कुमार38/5 हीमुंडा कॉलोनी,शिमला।दूरभाष – xxxxxxxxxx

  22. अनौपचारिक पत्र  अनौपचारिक पत्र उन लोगों को लिखा जाता है जिनसे हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध रहता है। अनौपचारिक पत्र अपने परिवार के लोगों को जैसे माता-पिता, भाई-बहन, सगे-सम्बन्धिओं और मित्रों को उनका हालचाल पूछने, निमंत्रण देने और सूचना आदि देने के लिए लिखे जाते हैं। इन पत्रों में भाषा के प्रयोग में थोड़ी ढ़ील की जा सकती है। इन पत्रों में शब्दों की संख्या असीमित हो सकती है क्योंकि इन पत्रों में इधर-उधर की बातों का भी समावेश होता है।

  23. अनौपचारिक पत्रों में निम्नलिखित प्रकार के पत्र रखे जा सकते है- 1-बधाई पत्र2- शुभकामना पत्र3- निमंत्रण पत्र4- विशेष अवसरों पर लिखे गये पत्र5- सांत्वना पत्र6- किसी प्रकार की जानकारी देने के लिए7- कोई सलाह आदि देने के लिए

  24. अनौपचारिक-पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें :(i) भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए।(ii) पत्र लेखक तथा प्रापक की आयु, योग्यता, पद आदि का ध्यान रखा जाना चाहिए।(iii) पत्र में लिखी बात संक्षिप्त होनी चाहिए।(iv) पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।(v) भाषा और वर्तनी-शुद्ध तथा लेख-स्वच्छ होना चाहिए।(vi) पत्र प्रेषक व प्रापक वाले का पता साफ व स्पष्ट लिखा होना चाहिए।(vii) अपना पता और दिनांक लिखने के बाद एक पंक्ति छोड़कर आगे लिखना चाहिए।

  25. अनौपचारिक-पत्र की प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द), अभिवादन व समाप्ति में किन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए- (1) अपने से बड़े आदरणीय संबंधियों के लिए-प्रशस्ति – आदरणीय, पूजनीय, पूज्य, श्रद्धेय आदि।अभिवादन – सादर प्रणाम, सादर चरणस्पर्श, सादर नमस्कार आदि।समाप्ति – आपका बेटा, पोता, नाती, बेटी, पोती, नातिन, भतीजा आदि। (2) अपने से छोटों या बराबर वालों के लिए-प्रशस्ति – प्रिय, चिरंजीव, प्यारे, प्रिय मित्र आदि।अभिवादन – मधुर स्मृतियाँ, सदा खुश रहो, सुखी रहो, आशीर्वाद आदि।समाप्ति – तुम्हारा, तुम्हारा मित्र, तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभचिंतक आदि।

  26. अनौपचारिक-पत्र का प्रारूप-(प्रेषक-लिखने वाले का पता)………………दिनांक ……………….संबोधन ………………. अभिवादन ………………. पहला अनुच्छेद ………………. (कुशल-मंगल समाचार)दूसरा अनुच्छेद ……….. (विषय-वस्तु-जिस बारे में पत्र लिखना है)तीसरा अनुच्छेद ……………. (समाप्ति) प्रापक के साथ प्रेषक का संबंधप्रेषक का नाम …………….

  27. अपनी बहन को पत्र लिखकर योगासन करने के लिए प्रेरित कीजिए। परीक्षा भवन,अ. ब. स.दिनांक- 27 अप्रैल, 2019 प्रिय बहन,सदा खुश रहो। मैं यहाँ कुशल हूँ, आशा है वहाँ पर भी सभी कुशल होंगें। अभी-अभी मुझे पिता जी का पत्र प्राप्त हुआ और उनसे घर के सभी समाचार ज्ञात हुए। साथ ही साथ यह भी पता चला कि तुम्हारा स्वास्थ्य कुछ ठीक नहीं है। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखा करो।

  28. तुम्हें तो पता ही है कि पहला सुख स्वस्थ शरीर को कहा जाता है। इसके लिए आवश्यक है कि तुम हमेशा योगासन किया करो। भाग-दौड़ भरी जिंदगी में व्यस्त रहने के कारण कोई भी स्वास्थ्य की ओर ध्यान नहीं देता। योग एक ऐसा माध्यम है जो शरीर को स्वस्थ रखने में महत्पूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए मैं तुम्हें यही सलाह दूँगी कि तुम नियमित रूप से योगा किया करो जिससे तुम्हारा शरीर चुस्त और फुर्तीला हो जाएगा और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। आशा करती हूँ कि तुम मेरी इस सलाह को मानोगी तथा अपने जीवन में योग को महत्त्व दोगी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम जल्द ही स्वस्थ हो जाओगी। माता-पिता को प्रणाम और भाई को मेरा प्यार देना। तुम्हारी बहनआशा

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