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कैसे अडानी गोड्डा परियोजना ने गोड्डा जिले की अर्थव्यवस्था को बदल दिया?

Adani Godda

goddaadani
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कैसे अडानी गोड्डा परियोजना ने गोड्डा जिले की अर्थव्यवस्था को बदल दिया?

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Presentation Transcript


  1. कैसे अडानी गोड्डा परियोजना ने गोड्डा जिले की अर्थव्यवस्था को बदल दिया?

  2. गोड्डा जिले की अर्थव्यवस्था में अडानी गोड्डा परियोजना का योगदान अविस्मरणीय है। यह परियोजना, जो कि 1600 मेगावाट की क्षमता वाली एक कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट है, ने न केवल स्थानीय रोजगार के अवसरों को बढ़ाया है, बल्कि यह क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों को भी गति प्रदान की है। इस लेख में, हम विस्तार से देखेंगे कि कैसे अडानी गोड्डा परियोजना ने गोड्डा जिले की अर्थव्यवस्था को बदल दिया है और इसके भविष्य के संभावित प्रभावों को समझने का प्रयास करेंगे।

  3. परियोजना का परिचय अडानी गोड्डा पावर प्लांट का निर्माण 2015 में शुरू हुआ था और इसका उद्देश्य बांग्लादेश को बिजली निर्यात करना था। यह परियोजना भारत और बांग्लादेश के बीच एक महत्वपूर्ण ऊर्जा सहयोग का हिस्सा है। इस परियोजना के तहत दो यूनिट हैं, प्रत्येक की क्षमता 800 मेगावाट है। इसके माध्यम से बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) के साथ एक दीर्घकालिक पावर पर्चेज एग्रीमेंट (PPA) पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसके तहत गोड्डा से बांग्लादेश को 1496 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जाएगी। यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा व्यापार में भारत की भूमिका को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

  4. परियोजना की स्थापना के पीछे का उद्देश्य • भारत और बांग्लादेश दोनों देशों की ऊर्जा आवश्यकताओं और आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए यह परियोजना शुरू की गई थी। भारत अपनी ऊर्जा दक्षता में सुधार करते हुए बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों को बिजली निर्यात कर सकता है, जिससे उसकी आर्थिक और राजनीतिक स्थिति भी मजबूत होती है। बांग्लादेश में बिजली की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है और इस मांग को पूरा करने के लिए उसे विश्वसनीय स्रोतों की आवश्यकता है। इस परिप्रेक्ष्य में, अडानी गोड्डा परियोजना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो भारत और बांग्लादेश के बीच आर्थिक सहयोग का एक नया आयाम जोड़ती है।

  5. निष्कर्ष • अडानी गोड्डा परियोजना न केवल गोड्डा जिले की अर्थव्यवस्था में क्रांति लेकर आई है, बल्कि यह भारत और बांग्लादेश के बीच ऊर्जा सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है। इससे दोनों देशों को आर्थिक लाभ मिला है और यह एक सफल परियोजना साबित हुई है। लेकिन साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि परियोजना अपने पर्यावरणीय और सामाजिक दायित्वों का पालन करे, ताकि इसका दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित हो सके। इस प्रकार की परियोजनाएं देश की ऊर्जा सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को और अधिक मजबूती प्रदान कर सकती हैं।

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