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अडानी हसदेव मामला क्यों आया चर्चा में?
अडानी ग्रुप को आज किसी इंट्रोडक्शन की ज़रूरत नहीं है। अडानी ग्रुप की उपलब्धियों के बारे में और भारत की जी डी पी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) को बढ़ाने में उसकी जो भूमिका है उसे सब जानते हैं। मगर सफलताओं के साथ अडानी ग्रुप को कभी कभी मुश्किल समय से भी गुजरना पड़ता है। अडानी हसदेव मामले में भी अडानी ग्रुप को अपने ही देश की जनता का विरोध झेलना पड़ा जबकि उन्होंने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया था।
हसदेव अरंड वन से किस प्रकार जुड़ा अडानी ग्रुप हसदेव अरंड वन छत्तीसगढ़ राज्य के एक बड़े क्षेत्रफल में फैला घना जंगल है जो विशेष रूप से अपनी वाइल्ड लाइफ डाइवर्सिटी के लिए जाना जाता है। इस वन में अनेक प्रकार के दुर्लभ वन्य प्राणी भी हैं और साथ ही साथ यह जंगल हाथियों के लिए बड़ा मशहूर है। यहाँ अनेक तरह की खदानें भी बड़ी मात्रा में मौजूद हैं और यही कारण है अडानी ग्रुप ने इंडस्ट्रियल ग्रोथ के विस्तार के लिए इस क्षेत्र को कोयला खनन के लिए चुना है और यहाँ अपनी कोल माइन की शुरुआत की।
जी डी पी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) क्या है? किसी भी देश के द्वारा एक पर्टिकुलर टाइम में उत्पादित की गई सभी एन्ड प्रोडक्ट और सर्विस की मार्केट वैल्यू का मोनेटरी कैलकुलेशन या मेज़रमेंट उस देश की जी डी पी को दर्शाता है। यही मानक होता है जिससे हम उस देश में हो रही आर्थिक विकास की एक्टिविटीज को माप सकते है और वहाँ की डेवलपमेंट का अंदाज़ा लगा सकते है। मार्केट एक्सपर्ट द्वारा कई बार जी डी पी में बढ़ोतरी को देश में फाइनेंशियल राइस के रूप में आंका जाता है।
हसदेव वन में अडानी ग्रुप के विरोध का कारण क्या है? अपनी जैविक संपदा के कारण हसदेव अरंड वन छत्तीसगढ़ प्रदेश में एनवायरमेंट की दृष्टि से बेहद ज़रूरी है। वातावरण में शुद्धता और हरियाली को बनाए रखने के लिए इस वन क्षेत्र का प्रदेश में अपना इम्पोर्टेंस है। इसके अलावा यह छत्तीसगढ़ राज्य को मध्य प्रदेश और झारखंड प्रदेशों से भी जोड़ता है और इसके आसपास बसी आदिवासी जनसंख्या राज्य की सांस्कृतिक विविधता का हिस्सा है।