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अडानी हसदेव मामला क्यों बना खबरों का विषय

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अडानी हसदेव मामला क्यों बना खबरों का विषय

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Presentation Transcript


  1. अडानी हसदेव मामला क्यों बना खबरों का विषय?

  2. अडानी ग्रुप आज देश की टॉप इंडस्ट्रीज में गिना जाता है जिसका श्रेय अडानी ग्रुप की राष्ट्र हितैषी भावना के साथ काम करने की पॉलिसी को दिया जाना चाहिए। अडानी ग्रुप पिछले कई दशकों से देश में औद्योगिक विकास का परिचायक बना हुआ है साथ ही साथ सामाजिक उत्थान में भी इस की महत्वपूर्ण भूमिका है। छत्तीसगढ़ के हसदेव वन क्षेत्र में भारतीय सरकार की अनुमति के साथ अडानी ग्रुप कोयला खनन हेतु अपना प्लांट संचालित कर रहा है जिसका स्थानीय ग्रामीणों द्वारा विरोध किया जा रहा है। हालांकि अडानी हसदेव मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यायिक जाँच जारी है और इस पक्ष में अब तक अडानी ग्रुप पर किसी प्रकार का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है।

  3. आखिर क्या है अडानी हसदेव केस का मूल? अडानी हसदेव केस छत्तीसगढ़ राज्य के हसदेव वन में अडानी ग्रुप द्वारा किए जाने वाले कोयला खनन से जुड़ा हुआ है। यहाँ अडानी ग्रुप के द्वारा खनन को लेकर स्थानीय लोगों का विरोध चिंता का विषय है। आदिवासी और आसपास के ग्रामीण लोगों का कहना है कि इस खनन प्रकिया से हसदेव वन की जीव और खनिज संपदा पर संकट है।आदिवासी और आसपास के ग्रामीण लोगों का कहना है कि इस खनन प्रकिया से हसदेव वन की जीव और खनिज संपदा पर संकट है। स्थानीय लोगों का मत है कि 2009 में PESA (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरियाज) Act 1996 यानि पंचायत का अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार का अधिनियम के तहत सरकार ने हसदेव वन और उससे जुड़े क्षेत्र को खनन कार्य के लिए नो गो क्षेत्र घोषित किया था। अब यदि सरकार अडानी ग्रुप को कोयला खनन की अनुमति दे रही है तो क्या पुराने नियमों का उल्लंघन हो रहा है या फिर अब नियम बदल चुके हैं। लोगों ने कहा कि हसदेव वन कई प्रकार के दुर्लभ वन्य जीव और मुख्यतः हाथियों के एक बड़े समूह का निवास स्थान है।

  4. अडानी हसदेव मामले में अडानी ग्रुप और संबंधित अधिकारियों का कहना है कि अडानी ग्रुप को खनन कार्य हेतु दी जाने वाली मंजूरी में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी की गई नियमावली को मद्देनजर रखते हुए ही कार्यवाही की जा रही है। हसदेव वन में कोयला खनन हेतु दी गई परमिशन में किसी भी प्रकार के नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है।सूत्रों के अनुसार अडानी ग्रुप के विरोधियों द्वारा यहाँ के लोगों को उकसाया जा रहा है। जिससे कि वे अडानी ग्रुप के विपक्ष में किसी भी प्रकार की अनर्गल और अनैतिक बातें एवं अन्य प्रोपोगोंडा कर सके और किसी भी तरह से उनका निजी मकसद पूरा हो पाए। स्थानीय लोगों द्वारा फिलहाल अडानी ग्रुप को लेकर याचिका दायर की जा चुकी है और सुप्रीम कोर्ट के अंतर्गत इस केस की जाँच जारी है। अडानी हसदेव केस को अडानी ग्रुप के प्रतिद्वंदियों द्वारा बिना किसी तर्क के अपने स्वार्थ हेतु तूल दिया जा रहा है। लेकिन अडानी ग्रुप भारतीय सरकार द्वारा बनाए गए सभी नियमों के अंतर्गत ही हर कार्य कर रहा है। हसदेव वन से जुड़े ग्रामीण और आदिवासियों को भ्रान्ति का शिकार बनाकर उन्हें अडानी ग्रुप के विपक्ष में खड़ा किया गया है।

  5. अडानी ग्रुप पर अडानी हसदेव मामले के बहाने से जिस तरह बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे है वह नैतिकता के तौर पर सरासर गलत है। अडानी ग्रुप इस देश की आर्थिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण भागीदार है, जो पिछले लम्बे समय से भारत के विकास कार्यों में अपना योगदान दे रहा है। अडानी हसदेव केस में जिस भी तरह के आरोप अडानी ग्रुप पर लगाए जा रहे हैं उनकी सत्यता साबित नहीं हुई है। अभी यह केस कोर्ट की जाँच के अंतर्गत है और इस पर अंतिम निर्णय आना बाकि है। इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि अडानी ग्रुप दोषी है और वाकई अडानी हसदेव मामला कानूनी रूप से सही है। जहाँ तक हसदेव वन की बायोडायवर्सिटी की सुरक्षा का सवाल है उसके लिए देश का संबंधित मंत्रालय अपना काम कर रहा है और निश्चित ही इस मामले में भी न्याय पूर्ण फैसला कोर्ट द्वारा लिया जाएगा।

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