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अडानी हसदेव वन मामले में फिर आई खबरें
छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य वन में कोयला खनन की प्रक्रिया फिर से तेज हो चुकी है, इसी के साथ अडानी हसदेव वन मामला भी फिर से चर्चा में है। हसदेव अरण्य वन में कोयला खनन की प्रक्रिया सर्वप्रथम 2010 में शुरू हुई थी जिसके बाद से ही अडानी ग्रुप द्वारा खनन संबंधित विकास कार्य किया जा रहा है। अडानी ग्रुप द्वारा औघोगिक दृष्टिकोण से हो रही गतिविधियों को सरकार भी अब आगे बढ़ाना चाहती है। खनन के संदर्भ में अधिकारीयों का मत है कि सभी मंजूरी संबंधित विभाग द्वारा बनाए गए नियमों के अंतर्गत ही दी जा रही है। अडानी ग्रुप किसी भी रूप में भारत सरकार के नियमों का उल्लंघन किए बगैर क्षेत्र में विकास कार्य कर रहा है।
अडानी हसदेव वन मामले में सरकार के प्रतिनिधियों ने आदिवासियों से किया विचार विमर्श इस संदर्भ में शासन एवं प्रशासन द्वारा स्थानीय लोगों से कई बार चर्चा की गयी और उन्हें नियमों में हुए संशोधन के बारे में बताया गया। लोगों को इस बात से अवगत करवाया गया है कि राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड और अडानी ग्रुप द्वारा किये जा रहे कोयला खनन को वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के नियमों से अंतर्गत ही किया जा रहा है। उन्हें इस बात की भी जानकारी दी गयी की सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के उद्देश्य से खनन कानूनों में आवश्यक बदलाव कई बार किए जाते हैं और अन्य सभी क्षेत्रों को देखते हुए ही खनन की मंजूरी दी जाती है।
अधिकारियों और अडानी ग्रुप ने हसदेव वन वासियों को इस बात का आश्वासन दिया कि वन संरक्षण को लेकर उनकी चिंता का पूरा ध्यान रखा जाएगा और सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। हालांकि आदिवसियों द्वारा पहले ही अडानी हसदेववन मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की जा चुकी है। इसे लेकर फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट द्वारा जाँच जारी है और अब तक अडानी ग्रुप के विपक्ष में को निर्णय नहीं सुनाया गया है।
अडानी हसदेव वन मामले को लेकर बनी भ्रान्ति को समाज से दूर करने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी इस केस में अब तक हुई सुनवाई में अडानी ग्रुप पर कोई आरोप साबित नहीं हुआ। हसदेव वन में अडानी ग्रुप द्वारा किया जा रहा कोयला खनन संबंधित हर काम सरकारी गाइडलाइन के अनुसार किया जा रहा है जिससे वन क्षेत्र को भी सुरक्षित रखा जा सके।