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संध्या वंदन- सूर्य तथा तारों से रहित दिन और रात की संधि को हमारे मुनियों ने संध्याकाल माना है। इसके द्वारा हम प्रकृति तथा ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं। जिससे हमारे अंदर सकारात्मकता का विकास होता है। इससे हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ति होती है और सभी प्रकार के रोग तथा शोक का नाश होता है। http://www.mypanditg.com/
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क्या है संध्या वंदन ? • शास्त्रअनुसारपांचसंधिकालहोतेहैंजिसमेसंध्यावंदनकियाजाताहै। • हमारेधर्मग्रन्थवेद, औरपुराणमेंसंध्यावंदनकीमहिमाऔरमहत्त्वकावर्णनकियागयाहै। • इसकेद्वाराहमप्रकृतितथाईश्वरकेप्रतिकृतज्ञताप्रकटकरतेहैं। • संध्यावंदनकोसंध्योपासनाभीकहाजाताहै। • जिससेहमारेअंदरसकारात्मकताकाविकासहोताहै।
संध्या वंदन करने की विधि • इससमयशौच, आचमन, प्राणायामादिकरकेकिसीमंदिरयाएकांतमेंगायत्रीछंदसेनिराकारईश्वरकीपूजाकीजातीहै। • इससमययदिमौनरहनेमात्रसेशरीरऔरमनमेंस्थितसरेदुखोंकानाशहोताहै। • इससमयभोजन, नींद, वार्तालाप, संभोगजैसेकामोंकात्यागकरनाचाहिए। • संध्यावंदनमेंशास्त्रअनुसारपवित्रताकाविशेषध्यानरखाजाताहै। • यहसर्वसत्यहै। इसमेप्रार्थनाकोसर्वश्रेष्ठमानागयाहै।
संध्योपासना के प्रकार • भोजन, नींद, वार्तालाप, संभोगसेसंध्योपासनाकेचारप्रकारहुए: • १) प्रार्थना • २) ध्यान • ३) कीर्तन • ४) पूजा-आरती।
क्या होती है प्रार्थना,ध्यान,कीर्तन,पूजा-आरती ? • प्रार्थना: • इसमेहमईश्वरकेप्रतिकृतज्ञताकाभावव्यक्तकरतेहैं। इसमेंहम • केवलउसपरमशक्तिसेप्रार्थनाकरतेहैं। २) ध्यान: समेंहमकेवलध्यानदेतेहैंउनचीजोंपेजोहमारेआस-पास, हमारेशरीरऔरमनपरघटितहोरहाहै। ध्यानकरनेसेहमारीसभीमनोकामनाओंकीपूर्तिहोतीहैतथामोक्षकेद्वारखुलजातेहैं।
३) कीर्तन: अर्थातईश्वरऔरगुरुकेप्रतिभक्तिऔरसमर्पणभावकोव्यक्तकरना। कीर्तनअर्थातभजनजिसमेहमगीतोंअर्थातभजनोंकेद्वाराभक्तिभावकोप्रकटकरना। ४) पूजा-आरती: ईश्वरकोकृतज्ञताव्यक्तकरनेकेलिएयेएकउत्तमऔरसबसेअच्छानियमहै। इसमेंहमगुड़औरघीकीधुपदीजातीहै।
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