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Kela Khane Ke Fayde: Jeevan Ko Poornata Se Jeene Ke Lye Ek Margardarshika

Kela Khane ke fayde se urja milti hai, pachan mein sahayta milti hai aur poteshiyam jaise aavashyak poshak tatv milte hai anek labhon wala ek svasthyavardhak nashta<br>

Hakim7
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Kela Khane Ke Fayde: Jeevan Ko Poornata Se Jeene Ke Lye Ek Margardarshika

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Presentation Transcript


  1. Kela Khane Ke Fayde: Jeevan Ko Poornata Se Jeene Ke Lye Ek Margardarshika

  2. केला एक सामान्य फल है जो प्रायः सभी को आसानी से प्राप्त हो जाता है। केला प्रायः संसार के सभी भागों और सभी देशों में प्राप्त होता है। केले की एक विशेषता यह है कि उस पर बहुत मोटा छिलका होता है जिसके कारण यह फल बहुत दिनों तक सड़ता नहीं और कीटाणुओं का उस पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं होता। इसके अतिरिक्त केला आकार-प्रकार में कई प्रकार का होता है। केला और उसके पेड़ का अपना महत्त्व है। शकुनशास्त्री लोगों का कहना है कि मनुष्य जब किसी कार्य के लिए घर से चलता है तो यदि उसे केले के दर्शन हो जाएं तो उसे शुभ माना जाता है। विवाह के समय केले के पेड़ मंडप के चारों कोनों पर लगाये जाते हैं। अन्य शुभ अवसरों पर भी केले अथवा उसके पेड़ का उपयोग किया जाता है। अनेक प्रकार के खान-पान के अवसर पर केले के पत्तेपर ही भोजन परोसा जाता है, क्योंकि इसे पवित्र माना जाता है।

  3. पेट संबंधी रोग अनेक प्रकार के पेट संबंधी रोगों में केला विभिन्न प्रकार से खाया जाता है। पेट में अल्सरवाले रोगियों के लिए केला बहुत उपयोगी फल है। केला खाने से भोजन की आपूर्ति हो जाती है। अल्सरवाले रोगियों को केले खाने से पेट में दर्द का अनुभव नहीं होता। इससे आंतों की सूजन कम होती है। बड़ी आंत की सूजन भी केले को भोजन के रूप में प्रयोग करने से शांत होती है। दूध और केला एक साथ खाने से अल्सर में लाभ होता है। जी मिचलाने पर और गले तक जलन अनुभव होने पर केले के साथ चीनी और इलायची खाने से जलन समाप्त हो जाती है। देशी घी के साथ केला लेने से गैस की अधिकता समाप्त हो जाती है।

  4. गठिया कुछ विशेषज्ञों का विचार है कि गठिया की आरम्भिक स्थिति में रोगी को 3-4 दिन तक यदि केले के आहार पर रखा जाए तो रोग के बढ़ने की संभावना समाप्त हो जाती है। इससे रोगी को शक्ति मिलने के साथ-साथ अंगों में एक विशेष प्रकार की लचक आती है और अकड़न समाप्त हो जाती है। ज्वर टाइफाइड आंतों का ज्वर होता है। इन रोगियों को यदि भोजन के रूप में केला दिया जाए तो रोग जल्दी दूर होने में सहायता मिलती है और रोग के बाद होनेवाली कमजोरी स्वतः दूर हो जाती है। इसके उपयोग से प्यास में कमी आती है और रोगी का दिल नहीं घबराता ।

  5. रक्त की कमी केले में आयरन की काफी मात्रा विद्यमान रहती है। इसलिए रक्त की कमी वाले व्यक्ति को नियमित रूप से केला खाने को देते रहे, तो शरीर के रक्त में लाल कणों की वृद्धि होती है। इस प्रकार रक्त की कमी दूर हो जाती है। दस्तों में दस्तों की स्थिति में केला दही के साथ खाने के लिए देने से दस्त, पेचिश, संग्रहणी दूर हो जाती है। केले का प्रमुख गुण कब्ज कम करना है। शरीर को मोटा करने के लिए नियमित रूप से 2-3 महीने तक दो केले खाकर दूध पीते रहने से शरीर का मोटापा बढ़ने लगता है। इसके अतिरिक्त केला स्वप्नदोष भी दूर करता है। दुबले-पतले रोगियों और बच्चों के लिए केला बहुत गुणकारी सिद्ध होता है। बच्चे केला बहुत पसन्द भी करते हैं।

  6. तपेदिक में कच्चे केले की सब्जी बनाकर खाने से क्षय रोग में लाभ होता है। केले के पेड़ का रस भी क्षय रोगी के लिए उपयोगी है। क्षय रोग में जब रोगी की हालत बिगड़ने लगती है और खांसी अधिक बढ़ती है, उस समय केले के तने का रस बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। रोगी को केले का रस थोड़ा-थोड़ा करके पिलाना चाहिए। केले के तने का पानी पिलाते रहने से तपेदिक के रोगी के फेफड़ों से बलगम आसानी से निकलने लगती है। केले के तने के रस में थोड़ा घी मिलाकर पिलाने से रुका हुआ पेशाब आने लगता है। नकसीर जिन लोगों को नाक से खून बहता हो, उन्हें चाहिए कि एक गिलास दूध में शक्कर मिलाकर दो केलों के साथ निरंतर दस दिन सेवन करें, लाभ होगा।

  7. मुख के छाले जीभ पर छाले होने पर एक केला दही के साथ प्रातःकाल सेवन करने से मुख के छाले ठीक हो जाते हैं। केला कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित रखता है। दमा दमा के रोगियों को केला कम खाना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि केला खाने से दमा बढ़ता तो नहीं? केला खाने से दमा बढ़े तो केला नहीं खाना चाहिए। दमे में केले से एलर्जी हो सकती है। बार-बार पेशाब आना एक केला खाकर आधा कप आंवले के रस में स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर पियें। बार-बार पेशाब का आना बंद हो जाएगा। अकेला केला खाने से भी बार-बार पेशाब आना कम हो जाता है।

  8. पौष्टिक आहार दूध पीनेवाले बच्चों के लिए नित्य विटामिन ‘सी’, नियासीन, राइबोफ्लेविन और थायेमीन की जितनी मात्रा चाहिए, उसका चौथाई भाग एक केले से मिल जाता है। बच्चों और बूढ़ों सभी को दूध के साथ प्रातः दो केले खाना चाहिए। केले का पाउडर शिशु आहार में काम में लिया जाता है। नाक से रक्त केले के तने के रस को सुंघाने से नकसीर में लाभ होता है। इससे मलहम बनाकर घाव पर लगाने से तत्काल असर होता है। कान के लिए उपयोगी केले के तने के रस को थोड़ा हल्का गरम कर कान में डालने से अतिशीघ्र फायदा होता है।

  9. चेचक एवं किसी भी प्रकार का फोड़ा निकलने की आशंका होने पर केले के तेल एवं केले के फल के अर्क का सेवन लाभ देता है। मात्रा 1-2 बूंद, अनुपाततः जल, मिश्री, दूध या शहद के साथ। इसके प्रयोग से शीघ्र लाभ होता है। इसके प्रयोग से घातक ज्वर में भी शांति प्राप्त हो जाती है। केले का पौष्टिक महत्व केला बहुत अधिक पौष्टिक फल है। इसके प्रयोग से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है, शरीर के नवीन कणों का निर्माण होता है। प्रोटीन, विटामिन और खनिज लवणों की आपूर्ति होती है। केला खाते ही शक्ति का अनुभव होने का कारण यह है कि इसमें विद्यमान शर्करा शरीर में बहुत जल्दी घुल जाती है। इसलिए यदि काम की अत्यंत थकावट के बाद व्यक्ति केले का प्रयोग करे, तो उसकी थकान मिटने में सहायता मिलती है। केले में विद्यमान कैल्शियम, फास्फोरस और नाइट्रोजन के कारण शरीर के नए कणों का निर्माण होता है। इसलिए केले को शक्तिवर्धक गुणों से सम्पन्न

  10. माना जाता है। भोजन के बाद केला खाने से शरीर को अधिक ताकत प्राप्त होती है। खाली पेट केला खाना उचित नहीं। केला जहां अत्यंत गुणकारी है, वहीं इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि 2-3 से अधिक केले एक समय में न खाएं। रात्रि में सोने से पूर्व केला खाना वर्जित है। केला खाने से यदि पेट में भारीपन और अपच अनुभव हो तो केले के छिलके के अंदर के भाग को थोड़ी मात्रा में खाना चाहिए। एक-दो छोटी इलायची खाने से भी केला पच जाता है। सभी अंगों का उपयोग अन्य बहुत से फलों की तरह केले के फल का पेड़ भी सम्पूर्ण रूप से काम आता है। केले की जड़ में कृमिनाशक गुण होते हैं। उससे भूख बढ़ती है। केले का तना जैसाकि ऊपर बताया गया है, अनेक रोगों में लाभदायक होता है।

  11. पथरी, कान का दर्द और अधिक पेशाब आने को भी नियंत्रित करता है। केले का फूल मधुर, शीतल, कृमिनाशक, वात और पित्त को शांत करने और बच्चों की खांसी में लाभदायक सिद्ध होता है। मिट्टी खानेवाले बच्चों को पके हुए केले के साथ शहद मिलाकर देने से मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है। केले का आटा केले को सुखाकर बनाया जाता है। कमजोर आदमियों के लिए यह काफी लाभदायक और शक्तिवर्धक होता है। इसके साथ उसे कच्चे केले की सब्जी दी जा सकती है। केले के तने के रस का प्रयोग सांप, बिच्छू, अफीम, संखिया आदि विषों को शान्त करता है। इससे सिद्ध होता है कि केला बड़ा अलबेला।Read more…

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